Read Time5
Minute, 17 Second
नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र का ज्यादातर हिस्सा हंगामों की भेंट चढ़ गया। दोनों सदनों में संविधान के 75 साल को लेकर हुई चर्चा को छोड़ दें तो पूरे सत्र के दौरान कोई सार्थक चर्चा नहीं हुई। यह भी संयोग है कि उसी संविधान पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के एक हिस्से को लेकर इतना बवाल मचा कि संसद परिसर का नजारा किसी अखाड़े जैसे हो गया। सांसदों का विरोध-प्रदर्शन धक्कामुक्की तक जा पहुंचा। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने एक दूसरे पर लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने शाह द्वारा आंबेडकर के कथित अपमान के मुद्दे पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी। देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ता अमित शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर पर सड़कों पर उतर गए। 24 मार्च को पार्टी ने देशभर में विरोध मार्च निकालने का ऐलान कर दिया है। देशभर में कांग्रेस के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। आखिर कांग्रेस ने अडानी-अडानी से ट्रैक बदलकर आंबेडकर मुद्दे पर अपना पूरा फोकस क्यों कर दिया? इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति है। आइए समझते हैं।इंडिया गठबंधन में अलग-थलग पड़ रही थी कांग्रेस
शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस ने राहुल गांधी के 'पसंदीदा मुद्दे' अडानी के नाम पर जमकर हंगामा काटा। सदन नहीं चलने दिया। सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ रही थी और कांग्रेस के सांसद संसद परिसर में तख्तियां लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। बीच-बीच में प्रियंका गांधी 'मोदी-अडानी' वाला बैग लटकाकर चर्चा को और खाद-पानी दे रही थीं। धीरे-धीरे कांग्रेस अपनी जिद की वजह से इंडिया गठबंधन में अलग-थलग पड़ती गई।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव संभल हिंसा पर चर्चा चाहते थे। उसे मुख्य मुद्दा न बनते देख वह परेशान थे। दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर अडानी मुद्दे पर कांग्रेस से दूरी बना ली। कांग्रेस इंडिया गठबंधन के भीतर अलग-थलग पड़ती दिख रही थी।
पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र में हार से कमजोर हुई कांग्रेस की स्थिति
वैसे भी पहले हरियाणा और बाद में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद विपक्षी गठबंधन के भीतर कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है। ईवीएम के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला जैसे सहयोगी ही कांग्रेस को आईना दिखाने लगे कि ये नहीं चलेगा कि जहां हार गए वहां ईवीएम का शोर और जहां जीत गए वहां ईवीएम ठीक।
ममता बनर्जी ने गठबंधन के नेतृत्व पर ठोक दिया है दावा, लालू का भी उन्हें समर्थन
उधर, कांग्रेस को कमजोर होता देख टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के नेतृत्व पर दावा ठोक दिया। कांग्रेस के सबसे विश्वस्त सहयोगियों में गिने जाने वाले आरजेडी संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी का समर्थन कर दिया। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया। कुल मिलाकर इंडिया गठबंधन के भीतर कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर हो रही थी। अडानी मुद्दे पर संसद में भी उसे सहयोगियों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा था।
फिर हाथ लगा आंबेडकर मुद्दा
आंबेडकर मुद्दा तो कांग्रेस के लिए जैसे बिल्ली के भाग्य से झींका टूटने जैसा हो गया। राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर बाबा साहेब आंबेडकर के बार-बार अपमान का आरोप लगाते हुए उसके कथित गुनाहों की फेहरिस्त गिना रहे थे। लेकिन उसकी भूमिका रचते हुए उन्होंने जो शब्द चुने उसे कांग्रेस और बाकी विपक्षी दल ले उड़े। शाह ने कहा, 'एक फैशन हो गया है - आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो 7 जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।' फिर क्या था, विपक्ष ने इस क्लिप को सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए अमित शाह पर बाबा साहेब के अपमान का आरोप लगाया और इस्तीफे की मांग करने लगे।
यूं ही इतना जोर नहीं लगा रही कांग्रेस
अडानी मुद्दे को भूलकर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पूरा जोर लगा दिया। विपक्षी दलों में जैसे होड़ लग गई कि कौन इस मुद्दे पर ज्यादा आक्रामक तेवर दिखाता है। इस मामले में कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों पर बढ़त लेती दिख रही है। पार्टी ने सोशल मीडिया से लेकर संसद परिसर और सड़क तक मुद्दे को खूब धार दी। कांग्रेस को इस रणनीति का फायदा भी मिलता दिख रहा है। अबतक इंडिया गठबंधन में अलग-थलग और कमजोर पड़ती दिख रही पार्टी अब फिर केंद्रीय भूमिका में आ गई। गठबंधन के बाकी दल भी इस मुद्दे पर उसके साथ हैं क्योंकि सभी की नजर दलित वोट पर है। दलित समुदाय में कभी कांग्रेस की जबरदस्त पैठ थी। अब पार्टी को लगता है कि इस मुद्दे के सहारे वह फिर से दलित समुदाय को अपने पाले में खींच सकती है।
केजरीवाल ने आंबेडकर के नाम पर स्कॉलरशिप का किया वादा
कांग्रेस की तरह ही आम आदमी पार्टी भी आंबेडकर के कथित अपमान का मुद्दा गरमाए रखने में लगी हुई है। अरविंद केजरीवाल तो अपनी रैलियों में ललकार रहे हैं कि हिम्मत कैसे हुई हमारे भगवान के अपमान करने की। शनिवार को उन्होंने दलित छात्रों के लिए आंबेडकर के नाम पर स्कॉलरशिप स्कीम का ऐलान कर दिया है। दरअसल, दिल्ली में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। यहां 17 प्रतिशत के करीब दलित वोटर हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को लगता है कि इस मुद्दे पर वो जितनी ज्यादा आक्रामक होंगी, उन्हें दलित वोटों का फायदा मिलेगा। दूसरी तरफ बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है और विपक्ष पर आधा-अधूरा क्लिप शेयर कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है।
शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस ने राहुल गांधी के 'पसंदीदा मुद्दे' अडानी के नाम पर जमकर हंगामा काटा। सदन नहीं चलने दिया। सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ रही थी और कांग्रेस के सांसद संसद परिसर में तख्तियां लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। बीच-बीच में प्रियंका गांधी 'मोदी-अडानी' वाला बैग लटकाकर चर्चा को और खाद-पानी दे रही थीं। धीरे-धीरे कांग्रेस अपनी जिद की वजह से इंडिया गठबंधन में अलग-थलग पड़ती गई।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव संभल हिंसा पर चर्चा चाहते थे। उसे मुख्य मुद्दा न बनते देख वह परेशान थे। दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर अडानी मुद्दे पर कांग्रेस से दूरी बना ली। कांग्रेस इंडिया गठबंधन के भीतर अलग-थलग पड़ती दिख रही थी।
पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र में हार से कमजोर हुई कांग्रेस की स्थिति
वैसे भी पहले हरियाणा और बाद में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद विपक्षी गठबंधन के भीतर कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है। ईवीएम के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला जैसे सहयोगी ही कांग्रेस को आईना दिखाने लगे कि ये नहीं चलेगा कि जहां हार गए वहां ईवीएम का शोर और जहां जीत गए वहां ईवीएम ठीक।
ममता बनर्जी ने गठबंधन के नेतृत्व पर ठोक दिया है दावा, लालू का भी उन्हें समर्थन
उधर, कांग्रेस को कमजोर होता देख टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के नेतृत्व पर दावा ठोक दिया। कांग्रेस के सबसे विश्वस्त सहयोगियों में गिने जाने वाले आरजेडी संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी का समर्थन कर दिया। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया। कुल मिलाकर इंडिया गठबंधन के भीतर कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर हो रही थी। अडानी मुद्दे पर संसद में भी उसे सहयोगियों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा था।
फिर हाथ लगा आंबेडकर मुद्दा
आंबेडकर मुद्दा तो कांग्रेस के लिए जैसे बिल्ली के भाग्य से झींका टूटने जैसा हो गया। राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर बाबा साहेब आंबेडकर के बार-बार अपमान का आरोप लगाते हुए उसके कथित गुनाहों की फेहरिस्त गिना रहे थे। लेकिन उसकी भूमिका रचते हुए उन्होंने जो शब्द चुने उसे कांग्रेस और बाकी विपक्षी दल ले उड़े। शाह ने कहा, 'एक फैशन हो गया है - आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो 7 जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।' फिर क्या था, विपक्ष ने इस क्लिप को सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए अमित शाह पर बाबा साहेब के अपमान का आरोप लगाया और इस्तीफे की मांग करने लगे।
यूं ही इतना जोर नहीं लगा रही कांग्रेस
अडानी मुद्दे को भूलकर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पूरा जोर लगा दिया। विपक्षी दलों में जैसे होड़ लग गई कि कौन इस मुद्दे पर ज्यादा आक्रामक तेवर दिखाता है। इस मामले में कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों पर बढ़त लेती दिख रही है। पार्टी ने सोशल मीडिया से लेकर संसद परिसर और सड़क तक मुद्दे को खूब धार दी। कांग्रेस को इस रणनीति का फायदा भी मिलता दिख रहा है। अबतक इंडिया गठबंधन में अलग-थलग और कमजोर पड़ती दिख रही पार्टी अब फिर केंद्रीय भूमिका में आ गई। गठबंधन के बाकी दल भी इस मुद्दे पर उसके साथ हैं क्योंकि सभी की नजर दलित वोट पर है। दलित समुदाय में कभी कांग्रेस की जबरदस्त पैठ थी। अब पार्टी को लगता है कि इस मुद्दे के सहारे वह फिर से दलित समुदाय को अपने पाले में खींच सकती है।
केजरीवाल ने आंबेडकर के नाम पर स्कॉलरशिप का किया वादा
कांग्रेस की तरह ही आम आदमी पार्टी भी आंबेडकर के कथित अपमान का मुद्दा गरमाए रखने में लगी हुई है। अरविंद केजरीवाल तो अपनी रैलियों में ललकार रहे हैं कि हिम्मत कैसे हुई हमारे भगवान के अपमान करने की। शनिवार को उन्होंने दलित छात्रों के लिए आंबेडकर के नाम पर स्कॉलरशिप स्कीम का ऐलान कर दिया है। दरअसल, दिल्ली में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। यहां 17 प्रतिशत के करीब दलित वोटर हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को लगता है कि इस मुद्दे पर वो जितनी ज्यादा आक्रामक होंगी, उन्हें दलित वोटों का फायदा मिलेगा। दूसरी तरफ बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है और विपक्ष पर आधा-अधूरा क्लिप शेयर कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है।
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.